4 security guards and 6 dogs are guarding 7 mangos
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केवल 7 आमों की रखवाली के लिए 4 गार्ड और 6 कुत्ते, जानिए क्यों

सामान्यतः आप सभी ने चोरों के डर से आम के बगीचों में लाठी-डंडों के साथ रखवाली करते हुए लोगों को देखा होगा। यह एक आम बात मानी जाती है क्योंकि आम जैसे रसीले फल को सभी पसंद करते हैं और लोगों के बीच यह काफी लोकप्रिय है। इस वजह से चोरों की भी इस फल पर काफी नजर रहती है और इसी डर से लोगों को अपने-अपने बगीचों में रखवाली के लिए खुद खड़े रहकर निगरानी करनी पड़ती है। 


दरअसल यह बात मध्यप्रदेश के जबलपुर इलाके की है। इस क्षेत्र में आम के दो पेड़ों की रखवाली करने के लिए इसके मालिकों द्वारा चार गार्ड और 6 कुत्तों को लगाया गया है। कोई इस बाग के इन आमों को चुराकर ले जा ना ले इसलिए इस बाग के मालिक द्वारा इसे सुरक्षित किया गया है। इस सुरक्षा कवच का एक बहुत बड़ा कारण है। जी हां! इसकी वजह है  यह आम। यह एक दुर्लभ प्रकार के आम की किस्म है जो कि भारत समेत पूरी दुनिया में काफी महंगी कीमत में मिलती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कोई सामान्य रूप से खाया जाने वाला आम नहीं है। इसलिए इसकी सुरक्षा के भी इतने बंदोबस्त किए गए हैं कि कहीं से भी कोई चोर आकर इन आमों को चुरा नहीं सकता। 


आम की किस्म है खास


जी हां! यह खास प्रकार का आम जापान का लाल रंग वाला आम है। जिसे मियाजाकी कहा जाता है। इसे जापान जैसे देश में सूर्य के अंडे के तौर पर भी पहचाना जाता है। यह विशेष किस्म का आम पूरे विश्व के सबसे महंगे आमों की श्रेणी में शामिल है। इस आम के बगीचे के मालिक एक किसान दंपति हैं। जिन्होंने इस बात की जानकारी दी है कि यह आम बेहतरीन और दुर्लभ किस्म का है और पुराने बीते वर्ष में इस आम को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में करीब 2.7 लाख रुपए प्रति किलोग्राम में बेचा जा रहा था। इस किसान दंपति द्वारा 3 वर्ष पहले ही जबलपुर के अपने बगीचे में इस आम की किस्म के दो पौधे लगाए गए थे जिसे इनको चेन्नई के एक व्यक्ति ने भेंट किया था।


क्या है आमों के पौधों के पीछे की कहानी


दरअसल आम की इस किस्म को रोपने वाले इसके मालिक एक किसान दंपति हैं जिनका नाम संकल्प परिहार तथा रानी परिहार है। इस मामले में संकल्प बताते हैं कि वह 3 साल पहले कुछ पौधों को खरीदने के लिए जब चेन्नई गए थे तो उन्हें ट्रेन में एक व्यक्ति मिला था। उस व्यक्ति ने उन्हें यह कुछ पौधे दिए और उनसे इस बात की प्रार्थना की कि वे इन पौधों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करेंगे। इसके बाद परिहार दंपति ने उन पौधों को लाकर अपने बगीचे में रोप दिया। जबकि वह इनकी किस्म के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। उनके द्वारा इन पौधों की अच्छे से देखभाल की गई। अब पिछले ही वर्ष जब उन्होंने इन पौधों पर लगे हुए फलों को देखा तो यह सामान्य आमों से काफी भिन्न थे। उन्हें आमों की इस किस्म के बारे में नहीं पता था इसलिए उन्होंने इसका नाम अपनी मां के नाम पर रख लिया। अब वह इन फलों को दामिनी किस्म कहते हैं। इसके बाद संकल्प परिहार बताते हैं कि जब उनके द्वारा इस किस्म के बारे में खोज की गई तो तब उन्हें इसका असली नाम और पहचान प्राप्त हुई।


इस किसान दंपति को भले ही इन आमों के विषय में असली सच्चाई मालूम नहीं थी परंतु आज वे भी इस सच्चाई से वाकिफ हैं। संकल्प परिहार बताते हैं कि जब उन्हें लाल रंग के आम के फल दिखे तो उनके द्वारा इस किस्म के बारे में जानने की काफी कोशिश की गई। तब उन्होंने यह जानकारी ढूंढ निकाली कि यह जापान की मियाजाकी आम की किस्म है जो कि बीते साल अंतरराष्ट्रीय मार्केट में करीब 2.7 लाख रुपये प्रति किलो में बिकी है। संकल्प परिहार आगे बताते हैं कि जब यह कहानी पिछले वर्ष ही सबको पता चली तो चोरों ने उनके बाग पर हमला कर आम के एक पेड़ और कुछ फल चुरा लिए। वे बड़ी कठिनाई से किसी तरह एक डाली को बचाने में सफल हुए और तब से लेकर अब तक उन्होंने इस पेड़ की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस एक पेड़ में इस बार 7 आम लगे हैं।


बड़े-बड़े दाम देने को हैं तैयार


संकल्प परिहार की पत्नी रानी परिहार बताती हैं कि जब से लोगों को इस आम की किस्म और इसकी खासियत के बारे में पता चला है, आम की खेती करने वाले लोग और इस फल को पसंद करने वाले कई लोग उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। उनमें से तो आमों के एक व्यापारी रमेश तनेजा ने उन्हें इस आम के बदले 21 हजार रुपये देने के लिए भी कहा था। इसके अलावा मुंबई के एक बड़े जौहरी ने भी इस आम की बड़ी कीमत तय की थी परंतु उन्होंने आमों को बेचने के लिए स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। क्योंकि वे चाहते हैं कि इस फल का उपयोग करके वे अधिक से अधिक पौधे उगाएं और इस आम की बढ़िया पैदावार हो सके।


क्या कहते हैं विशेषज्ञ


विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार इस मियाजाकी आम की किस्म के इतनी महंगी कीमत होने की पीछे की वजह जाननी आवश्यक होगी और इसके लिए इस फल का बेहतर प्रकार से निरीक्षण किया जाना चाहिए। एक अन्य वैज्ञानिक के मुताबिक यह अफगानिस्तान की नूरजहां की बाद पहला ऐसा फल है जो आज अपने विशिष्ट स्वाद नहीं बल्कि दाम और महंगे होने के कारण चर्चा में बना हुआ है।

 

संकल्प परिहार बताते हैं कि उनके द्वारा कई स्थानीय वैज्ञानिकों को भी इस बारे में जानकारी दी गई और उनसे प्रार्थना की गई कि वह इस पेड़ तथा उस पर लगे हुए फलों का निरीक्षण करें। ताकि इस बारे में पता चल सके कि यह फल वास्तविक फल है या फिर इसे हाइब्रिड वैरायटी के रूप में विकसित किया गया है। इसके साथ-साथ संकल्प के अनुसार इस किस्म के आम का इतना अधिक दाम होने के पीछे की असली वजह को भी सबके सामने लाना अत्यंत आवश्यक है।

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