Biography of Dr K.K Aggarwal
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डॉ के के अग्रवाल का पूरा जीवन रहा जनमानस की सेवा में समर्पित

दिल का डॉक्टर होने के नाते वे गरीबों के दिलों का इतना ख्याल रखते थे कि उनकी धड़कनों का हाल बिना किसी सहायता के महसूस कर लेते थे। अपने काम को लेकर जुनूनी और दरियादिली की मिसाल पेश करने वाले डॉक्टर के के अग्रवाल दिल्ली के प्रसिद्ध ह्रदय रोग विशेषज्ञ तथा सर्जन थे।


IMA के पूर्व अध्यक्ष तथा भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित डॉ के के अग्रवाल का 62 वर्ष की उम्र में सोमवार 17 मई को लगभग रात के 11:30 बजे निधन हो गया। अब वह हमारे बीच नहीं हैं। कोरोना जैसी इस बड़ी महामारी में उनकी तरह न जाने कितने लोगों और प्रियजनों को देश ने खो दिया है। उनकी मृत्यु से चिकित्सा जगत को एक बड़ी हानि हुई है जिसकी भरपाई शायद कोई नहीं कर सकता। उनकी मृत्यु की खबर के ही बाद से ही हर कोई स्तब्ध है। उनके चाहने वाले हजारों, लाखों लोगों ने अपना दुख व्यक्त किया है। आइए डॉ के के अग्रवाल के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं।


डॉ के के अग्रवाल दिल के ऐसे डॉक्टर थे जो गरीबों और जरूरतमंदों की बेबसी और लाचारी को देख नहीं सकते और उनकी मदद के लिए हर संभव प्रयास करते। IMA के पूर्व  प्रेसिडेंट तथा हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख रहे डॉ के के अग्रवाल कोरोना के चलते पहले वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे और उसके बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी काम के प्रति निष्ठा, दयालु स्वभाव तथा जागरूकता भरे रवैये को इस प्रकार समझा जा सकता है कि जब डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे और उनकी तबीयत बिगड़ गई थी तो भी उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने से पहले तक ऑनलाइन मरीजों की परेशानियों का समाधान किया। 


इसके बाद अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी मुंह पर ऑक्सीजन पाइप लगाकर मरीजों का इलाज करते रहे और कोरोना से बचने की हिदायत भी देते रहे। दरअसल 2 माह पहले ही डॉक्टर अग्रवाल ने कोविड-19 टीके की दोनों डोज़ ले ली थी परंतु फिर भी वे इस महामारी से बच नहीं पाए। डॉ अग्रवाल ने अपने टि्वटर हैंडल के जरिए इस बात की पुष्टि की थी कि वह कोरोनावायरस संक्रमित हो गए हैं, जिसके बाद उन्हें एम्स के आईसीयू में एडमिट करवाया गया था।


डॉ के के अग्रवाल का व्यक्तिगत परिचय


डॉ अग्रवाल मुख्य रूप से मध्यप्रदेश से सम्बंध रखते थे जो कई सालों पहले अपने पिता के साथ दिल्ली आए थे। नौकरी की तलाश में उनके पिता दिल्ली आए थे। वे अपने माता-पिता की 9 संतानों में से एक थे। अपने सभी बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा एक अच्छी परवरिश मिली थी। परिवार के हमेशा एक साथ रहने के कारण डॉ के के अग्रवाल के मन में भी सब को एक साथ लेकर चलने की भावना विकसित हो गई और उनका परिवार आदर्श परिवार के रूप में शामिल हो गया। यह बात उनके स्वभाव से लेकर के कार्य करने के तरीके तक में देखी जा सकती थी।


डॉ के के अग्रवाल ह्रदय रोग विशेषज्ञ होने के साथ-साथ इस बात में दृढ़ विश्वास रखते थे कि भारतीय महाकाव्य महाभारत एक महान ग्रंथ है और इस ग्रंथ में कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान निहित है। बस जरूरत है तो उन्हें ढूंढने और विश्वास करने की। डॉ अग्रवाल ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई सन 1979 नागपुर विश्वविद्यालय से की। तत्पश्चात उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से सन 1983 में एमएस की उपाधि भी प्राप्त करी। वे 2017 तक नई दिल्ली के मूलचंद मेडिसिटी में सीनियर कंसलटेंट के पद पर तैनात थे। अब वे हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष थे और इससे पहले आईएमए के प्रेसिडेंट के रूप में भी उन्होंने कार्य किया था।


डॉ अग्रवाल की पत्नी श्रीमती वीना अग्रवाल भी मेडिकल के क्षेत्र में कार्यरत हैं तथा उनके दो बच्चे नैना तथा निलेश भी पेशे से डॉक्टर हैं।


डॉ अग्रवाल की उपलब्धियां


डॉ अग्रवाल ने अपने इलाज से ही नहीं बल्कि व्यवहार से भी लाखों लोगों के दिलों को जीता है। उनके नाम कई अन्य उपलब्धियां भी शामिल हैं। वह स्ट्रेप्टोकिनैस थेरेपी (streptokinase therapy) का प्रयोग करने वाले भारत के अग्रदूतों में शामिल हैं। इस थेरेपी का प्रयोग विशेष प्रकार से दिल के दौरे के लिए किया जाता है। उनके द्वारा भारत में कलर डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी तकनीकी को भी आरंभ किया गया था तथा 2005 में उन्हें मेडिकल कैटेगरी के सर्वोच्च सम्मान डॉ बी सी राय पुरस्कार से भी नवाजा गया था। तत्पश्चात 2010 में उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

 

उन्होंने कई पुस्तकों की रचना करने के साथ-साथ विश्व हिंदी सम्मान, विक्की हेल्थ केयर पर्सनालिटी ऑफ द ईयर, राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार, डॉ बीएस मुंगेकर नेशनल आईएमए जैसे कई प्रसिद्ध पुरस्कारों को प्राप्त किया है। उनके द्वारा आधुनिक एलोपैथी तथा मेडिकल साइंसेज के अलावा प्राचीन वैदिक चिकित्सा और इकोकार्डियोग्राफी पर कई पुस्तकों की रचना भी की गयी है। उनके कई लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनके दिल्ली (खेलगांव) स्थित घर के बाहर हजारों जरूरतमंद लोगों की भीड़ उनके साधारण और नेक व्यक्तित्व की कहानी बताती है।


कोरोना काल में की गरीबों की मदद


डॉक्टर केके अग्रवाल ने कोरोना के भयावह काल में कई विभिन्न माध्यमों की सहायता से जरूरतमंदों की मदद की। कोरोना के दौरान उन्होंने जूम, फेसबुक और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए मरीजों को सलाह देनी प्रारंभ की। वे हर दिन समय पर आकर ऑनलाइन ही सभी सवालों को लेते और उनके जवाब देकर कोरोना के प्रति जागरूक करने और उसके इलाज बताने से संबंधित सभी दायित्वों का निर्वाह करते थे। उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से ही मरीजों का हर संभव इलाज किया।

 

इसके अलावा डॉक्टर अग्रवाल ने कई हजार कोरोना मरीज़ों का मुफ्त में इलाज करके उनके हौसले को बांधे रखा। यहां तक कि जब वह खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए तथा उनके मुंह पर ऑक्सीजन लगी थी तब भी उन्होंने ऑनलाइन माध्यम के अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा और अपनी जीवंतता का प्रदर्शन बखूबी किया। उनके पेशे के प्रति इस निष्ठा भावना और सेवा समर्पण के बदौलत ही आज लाखों लोग उन्हें याद करते कर रहे हैं। वे अपने इस मददगार स्वभाव के कारण कई वर्षों तक हमेशा याद किए जाएंगे। आज इस दुख और बेबसी के माहौल में डॉ अग्रवाल की कर्तव्यपरायणता और उनका जज्बा लोगों को कहीं ना कहीं इस बीमारी से लड़ने की हिम्मत अवश्य देता है।

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