Labour day
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अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2023: इतिहास और अन्य तथ्य

अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इसे अक्सर मई दिवस के रूप में जाना जाता है। 1 मई को भारत में महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस समाज में श्रमिकों के योगदान को पहचानने के लिए मनाया जाता है। 1 मई को कई देशों में सार्वजनिक अवकाश भी रहता है। यह मजदूरों और श्रमिक वर्गों का उत्सव है जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन द्वारा बढ़ावा दिया जाता है।


यह दिन श्रमिकों के महत्व और समाज के निर्माण में उनके योगदान को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। समाज में श्रम का महत्व उद्योग, व्यापार, कृषि, भवन निर्माण, पुलों और सड़कों आदि में है। संयुक्त राज्य और कनाडा जैसे देश सितंबर के पहले सोमवार को मजदूर दिवस मनाते हैं।


इतिहास

संयुक्त राज्य अमेरिका में आम हड़ताल के उपलक्ष्य में अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर द्वारा 1 मई की तारीख को चुना गया था। हड़ताल 1 मई 1886 को शुरू हुई थी। चार दिन बाद हेमार्केट अफेयर हुआ। 1 मई 1886 को संयुक्त राज्य अमेरिका में मजदूर आठ घंटे के कार्य दिवस के लिए हड़ताल पर चले गए। उन्होंने मांग की कि श्रमिकों को एक दिन में आठ घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।


4 मई 1986 को हेमार्केट में अज्ञात व्यक्ति द्वारा बम विस्फोट किया गया था। इस बम विस्फोट की घटना में कई लोग और पुलिस अधिकारी मारे गए थे। कई लोग घायल भी हुए थे।


1889 में पहली बैठक पेरिस में आयोजित की गई थी। प्रस्ताव रेमंड लविग्ने द्वारा दिया गया था और कहा गया था कि शिकागो विरोध की वर्षगांठ मनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनों की आवश्यकता है।


1891 में, इंटरनेशनल के दूसरे कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर मई दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने की मान्यता दी।



1 मई 1923 को भारत की मजदूर किसान पार्टी द्वारा मद्रास द्वारा भारत में पहला उत्सव मनाया जाता है। पहले ट्रेड यूनियन के संस्थापक कॉमरेड मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार ने इस दिन को मनाने के लिए दो बैठकों का आयोजन किया। भारत में पहली बार लाल झंडे का इस्तेमाल किया गया था।




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