"इलेक्ट्रिक बल्ब" और "फोनोग्राफ" सहित एडिशन में ना जाने कितने आविष्कार किए हैं। अमेरिका के "ओहियो" राज्य के "मिलान" शहर में जन्मे एडिशन के पिता का नाम "सेमुअल ओगड़ेंन एडिसन" और माता का नाम "नैसी मैथ्यू इलियट" था। वह अपने माता- पिता के सात में से आखिरी संतान थे। बचपन से ही वे बहुत मेहनती थे लेकिन उनके बचपन का एक हिस्सा है कि उन्हें स्कूल से यह कहकर निकाल दिया गया कि वे "मंदबुद्धि बालक" हैं।
जिंदगी में सफलता केवल उसी को मिलती है जिसने संघर्ष किया और दूसरा, अगर किसी को मिलती है तो उसे किसी ने प्रेरित किया हो। एडिशन को एक ऐसा व्यक्तित्व माना जाता है जिन्हें उसकी मां ने "मानसिक दिव्यांग" से महान वैज्ञानिक बना दिया।
"विद्युत बल्ब" एडिशन की एक अनोखी खोज (Edison Discovered Electric Bulb)
थॉमस अल्वा एडिसन ने कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए जिसमें से "बिजली का बल्ब" उनका एक महत्वपूर्ण आविष्कार है। "बल्ब" का आविष्कार करने के लिए उन्होंने हजार बार प्रयोग किए तब जाकर उन्हें सफलता मिली थी।
एक बार की बात है जब बल्ब बनाने के लिए एडिशन प्रयोग कर रहे थे तभी उनसे एक व्यक्ति ने कहा कि आपने बल्ब बनाने के लिए करीब एक हजार बार प्रयोग किया लेकिन असफल रहे और आपकी मेहनत बेकार हो गई क्या आपको दुख नहीं होता तब एडिशन ने उन्हें जवाब दिया कि मैं नहीं समझता कि मेरे 1000 प्रयोग असफल हुए। मेरी मेहनत बेकार नहीं गई, मैंने 1000 प्रयोग करके यह पता लगाया कि इन 1000 तरीकों में से बल्ब नहीं बनाया जा सकता मेरा हर प्रयोग बल्ब बनाने की प्रक्रिया से जुड़ा है और मैं प्रत्येक प्रयास में एक कदम आगे बढ़ा हूं।
एडिसन की जगह यदि कोई सामान्य व्यक्ति होता तो वह हार मान कर बैठ जाता लेकिन एडिशन ने अपने प्रयास जारी रखें आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने बल्ब का अविष्कार करके पूरी दुनिया को रोशन कर दिया।
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सफलता की कहानी (Edison's Success Story)
यह कहानी उनके बचपन के दिनों की है बचपन में जब थॉमस अल्वा एडिसन स्कूल गए तो अपने स्कूल से एक नोट्स लेकर घर पहुंचते हैं और अपनी मां को नोट्स देकर कहते हैं कि मां मुझे आज स्कूल से नोट्स मिला है। जरा पढ़ कर सुनाओ कि इसमें क्या लिखा है? उस नोट्स को पढ़कर एडिसन की मां की आंखें नम हो गई। मां ने बोला- बेटा इसमें लिखा है कि उनका बेटा बहुत "जीनियस" है और हमारा स्कूल इसके लिए बहुत छोटा है। जब तक एडिशन की मां जिंदा रही तब तक वह अपने बेटे को घर पर पढ़ाती रहीं और देखते ही देखते एडिशन को उसकी मां ने सदी का सबसे महान वैज्ञानिक बना दिया।
एक दिन एडिशन को अपनी मां के सामान में वह बचपन का नोटस मिलता है जो बचपन में उसे स्कूल से मिला था, उसमें लिखा था कि आपका बेटा "मानसिक दिव्यांग" है हम इसे और अधिक नहीं संभाल सकते। थॉमस अल्वा एडिसन के मन में अपनी मां के प्रति इतनी श्रद्धा का भाव उमड़ आया, रोते हुए उन्होंने अपनी मां को याद किया और अपने को धन्य समझने लगे कि उन्हें एक बेहतरीन मां मिली जो भगवान की सबसे महत्वपूर्ण मां है।
बचपन में किया गया एक प्रयोग (Experiments Performed by Edison in his Childhood)
एडिसन पर उनकी मां की शिक्षा का गहरा प्रभाव पड़ा वे इतने जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे कि अगर उन्हें किसी चीज के बारे में पता चल जाता तो वह तुरंत उस चीज पर प्रयोग करना शुरू कर देते थे ताकि पता चल सके कि कही गई बातें सत्य है या नहीं।
ऐसा ही एक क़िस्सा उनके बचपन का है। एक बार उनके बचपन में उन्हें बताया गया कि कीड़े खाने से ही पक्षी उड़ते हैं तो वे जिज्ञासावश इसे सिद्ध करने के लिए बगीचे से ढेर सारे कीड़े उठा लाए। उनका घोल बनाकर अपने दोस्त को पिला दिया सोच कर शायद उनका दोस्त उड़ने लगे लेकिन इसका उल्टा हुआ उनका दोस्त बीमार हो गया।
एडिशन को अविष्कारों के प्रति इतना जुनून था कि लोग उन्हें पागल और सनकी कहने लगे थे लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने प्रयोगों के कारण उन्होंने अपनी नौकरी ही छोड़ दी थी। बचपन में मंदबुद्धि कहलाने वाला बालक अपने जीवन काल में 1093 अविष्कारों का जनक बन गया जो एक विश्व रिकॉर्ड है इतने अधिक आविष्कार इनके अलावा अब तक किसी वैज्ञानिक ने नहीं किए।
यह कहानी थी थॉमस एल्वा एडिसन की जिसे एक विद्यालय ज्ञान की रोशनी ना दे सका और उसने पूरे विश्व को रोशन कर डाला।