ministry of finance denies swiss bank black money news
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स्विस बैंक में रिकॉर्ड काला धन बढ़ने का वित्त मंत्रालय ने किया खंडन

पिछले दिनों से कुछ ऐसी खबरें प्रसारित हो रही हैं जिसमें कहा जा रहा है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 20,000 करोड रुपए को पार कर गया है लेकिन अब भारत के वित्त मंत्रालय ने मीडिया में चल रही इन खबरों का खंडन कर दिया है। मंत्रालय ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी कि स्विस बैंक में जमा राशि में बढ़ोतरी या कमी को सत्यापित करने के लिए मंत्रालय ने स्विस अधिकारियों से सूचना मांगी है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने प्रेस रिलीज जारी करके कहा कि मीडिया में ऐसी कई रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं जिनमें कहा जा रहा कि भारतीयों का स्विस बैंक में जमा पैसा साल 2020 के अंत तक बढ़कर 20,700 करोड़ पर हो गया है जो साल 2019 के अंत तक 6,625 करोड गया था, यह भी कहा गया कि यह पिछले 13 वर्षों में सबसे ज्यादा रकम है।

    

रिपोर्ट में यह कहा गया कि रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े आधिकारिक हैं और स्विस नेशनल बैंक ने जारी किए हैं। यह राशि स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए कथित काले धन की मात्रा की ओर इशारा नहीं करते। इसके अलावा इन आंकड़ों में वह पैसा शामिल नहीं है जो भारतीयों,‌ एनआरआईज या अन्य लोगों के पास स्विस बैंकों में तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर हो सकता है।


सरकार ने रिपोर्ट की खारिज


मीडिया रिपोर्ट्स में जब इस बड़े हुए धन की खबर चलने लगी तो सरकार को स्वयं सामने आकर इस रिपोर्ट को खारिज करना पड़ा। रिपोर्ट में स्विस बैंकों में कथित तौर पर भारतीयों का जमा पैसा 20 हजार करोड़ से ज्यादा का काला धन बढ़ने का आरोप लगा है। अब इस रिपोर्ट को भारत सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया और बताया कि सरकार स्विस बैंक अधिकारियों से जमा पैसे के बारे में जानकारी प्राप्त कर रही है और उनसे जानकारी को विस्तार से कहने के लिए कहा गया है जिससे की स्थिति स्पष्ट हो सके।


क्या था रिपोर्ट में


यह तो आप सभी जानते ही हैं कि मोदी सरकार की पहली पारी यानी कि साल 2014 में के चुनावों में काले धन की वापसी चुनाव का मुख्य एजेंडा रहा लेकिन अब मोदी 2.0 में काले धन बढ़ने की रिपोर्ट का आना जरूर सरकार को चिंतित कर सकता है। दरअसल आपको बता दें कि स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 के दौरान स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों, संस्थाओं और कंपनियों का जमा पैसा 2.55 अरब स्विस फ्रैंक जो कि भारतीय मुद्रा में लगभग 20,700 करोड रुपए से अधिक पहुंच गया, जबकि यह राशि साल 2019 में 6625 करोड़ थी। यानी कि एक साल में स्विस बैंक में 286% की बढ़ोतरी जमा राशियों में हुई और यह जमा राशि 2007 से यानी कि 13 साल के बाद से अब तक के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है।


क्या कहा वित्त मंत्रालय ने


इस रिपोर्ट के मीडिया में प्रसारित होने के बाद वित्त मंत्रालय हरकत में आया। रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि "भारत और स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता(MAAC) पर बहुपक्षीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2018 के लिए सालाना वित्तीय खातों की जानकारी साझा करने के लिए दोनों देशों के बीच सूचना का स्वत: आदान प्रदान हो रहा है।"

   

मंत्रालय ने आगे कहा कि दोनों देशों ने 2019 और 2020 से एक दूसरे के निवासियों के खातों की जानकारी साझा की है। 2019 के अंत में ग्राहकों की जमा राशि वास्तव में कम हुई है प्रत्ययी संस्थाओं से रखा गया धन भी 2019 के अंत से आधे से अधिक हो गया है जिसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 'ग्राहकों से देय अन्य राशि' में है। ये बांड,  प्रतिभूति के साथ ही आय के अन्य साधनों के रूप में है।


स्विस बैंक में जमा रकम के मामलों में कौन है टॉप पर


स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस बैंक में ना सिर्फ भारतीयों का बल्कि कई अन्य देशों के नागरिकों व संस्थाओं के पैसे भी जमा है। इनमें सबसे टॉप पर स्विस बैंक में जमा राशि के मामलों में ब्रिटेन है, इस बैंक में ब्रिटेन के नागरिकों का 370 अरब स्विस फ्रैंक जमा है। ब्रिटेन के बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका है जहां के नागरिकों के 155 अरब स्विस फ्रैंक जमा है। इसके बाद क्रमशः वेस्टइंडीज, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी और सिंगापुर हैं। 



कौन से नंबर पर है भारत


स्विस बैंक में जमा धनराशि के मुकाबले में भारत 51वे नंबर पर है। मीडिया में चल रही आजकल की रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीयों का कुल जमा पैसा 2.55 अरब स्विस फ्रैंक है। स्विस बैंक में जमा धनराशि के मामले में भारत; न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, हंगरी, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आगे है। आपको बता दें कि स्विस केंद्रीय बैंक ने यह बात कई बार दोहराई है कि स्विट्जरलैंड में जमा भारतीयों के संपत्ति को "ब्लैक मनी" नहीं माना जा सकता।

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