Top 10 Tourists Places in Uttarakhand to Visit in hindi
पर्यटन

करिये पहाड़ों की सैर और देखिये ये 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उत्तराखंड में - Top 10 Tourists Places in Uttarakhand

डाली डाली फूलों की, तुझको बुलाये रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में। 

बादलों की ओढ़ती ओढ़नी वादियां, गीत सुनाये मीठे मीठे मेरे उत्तराखंड में। 

हो! पीजो रे पीजो मेरे पहाड़ को, ठंडो पाणी, ठंडोssss पाणी

देश के मानचित्र पर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। यह राज्य उत्तर प्रदेश के 13 पहाड़ी जिलों को काटकर बनाया गया। मात्र 53,483 वर्ग किलोमीटर वाले इस राज्य को भौगोलिक दृष्टि से दो हिस्सों  गढ़वाल और कुमाऊं में बांटा गया। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राज्य जरूर सूक्ष्म है किंतु अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियरों और बर्फ से ढकी चोटियों, घने जंगलों और विभिन्न जीव-प्रजातियों से यह भरपूर है। भारत के उत्तरी छोर हिमालय पर स्थित यह राज्य "देवभूमि उत्तराखंड" के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह राज्य आस्था की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 

प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम, कुंभ स्थल हरिद्वार, मां गंगा का उद्गम स्थल गोमुख इसी राज्य में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध "फूलों की घाटी" जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का दर्जा दिया गया और देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान "जिम कॉर्बेट" भी इसी राज्य की शान है। आस्था की दृष्टि से, प्रकृति प्रेम की चाहत से, हिल स्टेशनों की खूबसूरती के साथ यह राज्य भरपूर है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और धार्मिक आस्था रखते हैं तो आप जरूर एक बार उत्तराखंड जाइए और वहां के सुंदर नजारों को खुद के अंदर संजोए कर रखें। यहां हम आज आपको उत्तराखंड के 10 मुख्य धार्मिक व आकर्षण स्थलों से रूबरू कराएंगे। Top 10 Tourists Places in Uttarakhand



1- नैनीताल


चारों ओर बर्फ की वादियों से घिरे 'नैनीताल' उत्तराखंड राज्य का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह शहर खुद में बसाई एक झील के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें प्रमुख झील "नैनी झील" है जिसके नाम पर ही इस जगह का नाम 'नैनीताल' रखा गया। यहां पर काफी छोटी बड़ी झील है होने के कारण इस शहर को झीलों का शहर कहा जाता है। प्राकृतिक सुंदरता और झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड का नैनीताल बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां आप इको केव गार्डन, नैनी झील, नैना देवी मंदिर और द माल रोड़ आदि जगह का भ्रमण भी कर सकते हैं। राज्य का 'उच्च न्यायालय' भी इसी जगह नैनीताल में स्थित है।


साधन : नैनीताल पर्यटक स्थल के दर्शन के लिए आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग तीनों का उपयोग कर सकते हैं। बात करें यदि सबसे पहले सड़क मार्ग की तो आप खुद का वाहन लेकर भी यहां पहुंच सकते हैं जो कि राजधानी दिल्ली से लगभग 300 किलोमीटर दूर है। यहां आप मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग के जरिए सीधा नैनीताल पहुंच सकते हैं।

यदि बात करें रेलमार्ग की तो, दिल्ली से वाय रेल काठगोदाम तक या रामनगर तक आप आ सकते हैं और वहां से सड़क मार्ग के जरिए मात्र 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।

वही हवाई मार्ग के लिहाज से यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है यहां से नैनीताल की दूरी लगभग 60-70 किलोमीटर है।



2- रानीखेत


देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा शानदार 'रानीखेत' शहर अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह राज्य का एक प्रमुख हिल स्टेशन है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1869 मीटर है, जो कि पश्चिमी हिमालय पर्वत के कुमाऊं डिवीजन में स्थित है। 

लोक मान्यताओं के अनुसार, कुमाऊं क्षेत्र के सुंदर रानी 'पद्मिनी' इस क्षेत्र में आई थी जो कि इस जगह की इतनी कायल  हो गई कि उन्होंने यही रहने का मन बना लिया। उनके पति राजा 'सुखहरदेव' ने रानी के लिए यहां एक महल का निर्माण करवाया और इस जगह का नाम "रानीखेत" रख दिया। वर्तमान में यह हिल स्टेशन भारतीय सेना की 'कुमाऊं रेजिमेंट' का मुख्यालय भी है।


साधन : यह हिल स्टेशन मुख्य रूप से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है लेकिन यहां के लिए आप हवाई मार्ग और रेल मार्ग का प्रयोग कर भी सकते हैं। वायु मार्ग का मुख्य एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है जबकि रेल मार्ग का अंतिम स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। 


3- अल्मोड़ा


घोड़े के खुर के समान दिखने वाला यह शहर उत्तराखंड का एक जिला भी है। पर्यटक रूप से भरपूर यह राज्य ऐतिहासिक रूप से भी काफी अहम है। एक कथा के अनुसार यह माना जाता है कि अल्मोड़ा की कौशिका देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक दानवों का विनाश इसी क्षेत्र में किया था। धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि के साथ ही यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए भी मशहूर है। कुमाऊं की संस्कृति का सबसे प्रमुख केंद्र अल्मोड़ा को ही माना जाता है।


साधन : कुमाऊं क्षेत्र में होने के कारण यह शहर भी रानीखेत और नैनीताल के समान ही वायु और रेल मार्ग से जुड़ा है। सड़क मार्ग से यह शहर भी पूरी तरीके से राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं।


4- कौसानी


समुद्र तल से लगभग 6075 फीट की ऊंचाई पर स्थित और खूबसूरत शहर "कौसानी" अल्मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिमालय की सुंदरता के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर यह कौसानी शहर स्थित है। अपनी कुमाऊं यात्रा के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कौसानी क्षेत्र में काफी वक्त बिताया और यहां की खूबसूरती के कायल होकर इस क्षेत्र को "भारत का स्विट्जरलैंड" की संज्ञा दी। पर्यटक लिया के साथ ही यह कौसानी चाय के लिए भी प्रसिद्ध है।


साधन : अल्मोड़ा से 53 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर या शहर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है जहां आप आसानी से पहुंचकर प्रकृति का मनमोहक दृश्य ले सकते हैं।


5- मुनस्यारी


खूबसूरत पर्वतीय और सीमांत क्षेत्र मुंसियारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। इसके एक छोर पर तिब्बत तो दूसरे छोर पर नेपाल लगा हुआ है। जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान हिमालय पर्वत की तलहटी पर बसा हुआ एक छोटा सा खूबसूरत हिल स्टेशन है। मुनस्यारी नाम से मुन्नी का सेरा अर्थात तपस्वियों का तप स्थल होने के कारण मिला। जिले का यह सबसे शांत, सुखद मौसम के लिए जाना जाता है। हिल स्टेशन का एक प्रमुख हिस्सा बर्फ की मोटी चादर से ढका हुआ रहता है जिस वजह से इस स्थान को 'मिनी कश्मीर' के नाम से भी जाना जाता है।


साधन : यहां पहुंचने के लिए आपको सड़क मार्ग का प्रयोग करना होगा। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से क्षेत्र की दूरी 128 किलोमीटर है।


6- मसूरी


अंग्रेजों के समय का सबसे पसंदीदा हिल स्टेशन और वर्तमान समय में पहाड़ों की रानी से मशहूर "मसूरी" उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है। जिला मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और लोकप्रिय हिल स्टेशन मसूरी समुद्र तल से 1800 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह से आप मशहूर दून वैली और शानदार हिमालय पहाड़ियों के नजारे का लुत्फ ले सकते हैं। इस जगह का सबसे ऊंचा स्थान लाल टिब्बा है जो लंदौर नामक जगह पर स्थित है। पहाड़ों की रानी मसूरी को प्रसिद्ध धाम गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।


साधन : इस खूबसूरत हिल स्टेशन के नजारे के लिए आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं। देश की राजधानी दिल्ली से देहरादून की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है जो कि सीधा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है और देहरादून से मसूरी मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल और एयर कनेक्टिविटी राज्य की राजधानी देहरादून तक मौजूद है।


7- औली 


शानदार बर्फ से ढकी चोटियां और राज्य का एक प्रमुख पर्यटक स्थल "औली" गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में स्थित है। यहां 5 - 7 किलोमीटर में फैला राज्य का एक छोटा सा स्की-रिसोर्ट भी है जहां विंटर खेलों का आयोजन किया जाता है। समुद्र तल से लगभग 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पर्यटक स्थल नंदा देवी पर्वत, मन पर्वत और कामेट पर्वत की श्रृंखलाओं का घर है।


साधन : इस पर्यटक स्थल का लुत्फ उठाने के लिए आप मुख्य रूप से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का प्रयोग कर सकते हैं जो कि राज्य की राजधानी देहरादून से 30 किलोमीटर दूर ऋषिकेश से शुरू होता है। एयर कनेक्टिविटी के लिहाज से गोचर हवाई पट्टी और यहां के लिए अंतिम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश शहर में स्थित है। वर्तमान में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना निर्माणाधीन है जिसके पूरा होने के बाद से यह क्षेत्र रेल कनेक्टिविटी से काफी नजदीकी से जुड़ जाएगा।


8- बद्रीनाथ


भारत की संस्कृति की झलक दुनिया दुनिया में मशहूर है यह सर्वधर्म संपन्न देश है। भारत के सबसे महत्वपूर्ण आस्था के केंद्र उसके चार धाम है। इन्हीं चार धामों में से एक उत्तर दिशा में हिमालय की गोद में बसा प्रसिद्ध धाम "श्री बद्रीनाथ" उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है, जो कि हिंदू आस्था का बड़ा केंद्र है।

नर और नारायण पर्वत श्रेणी के बीचो-बीच नीलकंठ पर्वत पर स्थित यह धाम भगवान विष्णु को समर्पित है। हर वर्ष यहां लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए दर्शन करते हैं।


साधन : श्री बद्रीनाथ के दर्शन प्राप्त के लिए आप देश की राजधानी दिल्ली से वाय एयर, वाया रेल और वाया सड़क तीनों मार्गों का प्रयोग कर सकते हैं। हवाई मार्ग से आप गोचर तक तथा रेल मार्ग से आप ऋषिकेश तक आ सकते हैं। ऋषिकेश से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बद्रीनाथ धाम सड़क मार्ग से पूरी तरीके से लिंक है। वर्तमान में यहां भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना "ऑल वैदर प्रोजेक्ट" कार्य प्रगति पर है, जिसके पूरा हो जाने के बाद यह क्षेत्र 12 माह सड़क मार्ग से कनेक्ट रहेगा।


9- केदारनाथ


हिंदू आस्था का बड़ा केंद्र और भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग तथा उत्तराखंड राज्य के चार धामों में से एक प्रमुख धाम श्री केदारनाथ सबसे ऊंचाई पर स्थित है। शिव भक्ति का सबसे बड़ा केंद्र केदारनाथ धाम सरस्वती और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है। वर्ष 2013 की आपदा ने यहां भयंकर तबाही मचाई थी जिससे पूरा देश सहम गया था। वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से एक बार पुनः केदारनाथ धाम अपने दिव्य और भव्य स्वरूप में वापस लौट चुका है।


साधन : श्री केदारनाथ बाबा के दर्शन के लिए आप तीनों मार्गों का प्रयोग कर सकते हैं। जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से सड़क मार्ग के जरिए लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर गौरीकुंड स्थित है। गौरीकुंड से लगभग 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा है, जिसे आप पालकी, खच्चर आदि के सहारे भी पूरी कर सकते हैं। वर्तमान में यह हेली सेवा भी उपलब्ध है।


10- ऋषिकेश


ऋषिकेश पर्यटन स्थल राजस्थानी देहरादून जिले में स्थित है। समुद्र तलहटी से मात्र 409 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह तीर्थ स्थल शिवालिक रेंज से घिरा हुआ है। ऋषिकेश दो शब्दों से मिलकर बना है, ऋषक जिसका अर्थ है इंद्रियां और एष का अर्थ है भगवान या गुरु। ऋषिकेश का शांत वातावरण, हिमालय की पहाड़ियां और प्राकृतिक सुंदरता ही इसे प्रमुख तीर्थ केंद्र बनाती हैं। शांत बहती गंगा की धारा के किनारे बसा यह शहर योग के लिए भी मशहूर है। प्रत्येक वर्ष देश-विदेशों से यात्री क्षेत्र की यात्रा करते हैं।


साधन : ऋषिकेश तीर्थ स्थल तीनों मार्गो से ही जुड़ा हुआ है। यह देश की राजधानी दिल्ली से सीधा रेल, सड़क पर हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।

Trending Products (ट्रेंडिंग प्रोडक्ट्स)