Ab jaago jivan ke prabhat by Jaishankar prasad
कविता

अब जागो जीवन के प्रभात -जयशंकर प्रसाद

अब जागो जीवन के प्रभात !

           वसुधा पर ओस बने बिखरे

           हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे

           उषा बटोरती अरुण गात !

अब जागो जीवन के प्रभात !

           तम नयनों की ताराएँ सब-

           मुद रही किरण दल में हैं अब,

           चल रहा सुखद यह मलय वात !

अब जागो जीवन के प्रभात !

           रजनी की लाज समेटो तो,

           कलरव से उठ कर भेंटो तो ,

           अरुणाचल में चल रही बात,

अब जागो जीवन के प्रभात !


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