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तरुण गोगोई : 'सलीकेदार' लेकिन 'चतुर' राजनेता, असम के पूर्व मुख्यमंत्री नहीं रहे | Tarun Gogoi Passes Away

1 अप्रैल 1936 को असम में जोरहाट जिले की टी-एस्टेट में तरुण गोगोई का जन्म हुआ। इनके पिता डॉक्टर कमलेश्वर गोगोई व माता उषा गोगोई थी। जोरहाट के गवर्नमेंट बॉयज स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करके तरुण गोगोई ने जेबी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने गोहाटी विश्वविद्यालय से एलएलबी पास किया। वे एक छात्र नेता थे, जो जे. बी. कॉलेज और असम इंटर कॉलेज के छात्र संघ के उपाध्यक्ष रहे। जोरहाट कॉलेज संघ के संयुक्त सचिव के रूप में सेवा की और छात्र संघ के सेनापति भी रहे। 


राजनीतिक सफर 


6 बार लोकसभा के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे तरुण गोगोई वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद कांग्रेस में धीरे-धीरे राजनीतिक सफर की सीढ़ियां चढ़ने लगे।‌ इंदिरा गांधी के समय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव व राजीव गांधी के समय में उन्हें कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया गया। जोरहाट से 1971 में पांचवी लोकसभा के लिए सांसद निर्वाचित होने के साथ ही उन्होंने अपना सफल राजनीतिक सफर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1977 व 1983 में वे फिर से जोरहाट क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए।

1991 में कालीबोर से दसवीं लोकसभा के लिए चुना गया और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। जिसमें उन्हें दो विभागों में स्वतंत्र प्रभार दिया गया और 1991 से 93 तक केंद्रीय मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया।  उसके बाद 1993 से 95 तक खाद्य मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। 1997 मार्गरेटा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य के लिए निर्वाचित हुए परंतु इसके एक वर्ष बाद ही 1998 में फिर से कालीबोर से लोकसभा सांसद के लिए निर्वाचित हुए। 1999 में कालीबोर से 13वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित और 1999 से 2000 तक रेलवे विभाग में लोक सभा समिति के सदस्य रहे। 

मई 2001 में उन्होंने असम राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली लेकिन सितंबर 2001 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ कर जीत हासिल की और विधानसभा की सदस्यता प्राप्त की। पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद 2006 में पुनः असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाकर फिर से मुख्यमंत्री बने। 2011 में एक बार फिर से असम राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाकर अपने तीसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

गोगोई असम के मूल निवासियों में कांग्रेस के समर्थन को बरकरार रखना चाहते थे। 2016 तक राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी रही, यह इस बात का सबूत है कि असम के लोगों के बीच कांग्रेस और गोगोई बेहद लोकप्रिय थे, लेकिन साल 2016 के चुनाव में भाजपा ने राज्य में शानदार जीत हासिल की। 


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उपलब्धियां और विवाद 


कुशल नेतृत्व और लोकप्रियता के कारण ही वे सर्वाधिक समय तक सूबे की सत्ता पर काबिज रहे। तरुण गोगोई ने वर्ष 2001 से 2016 तक लगातार तीन बार असम के मुख्यमंत्री का पद संभाला है। अपने कार्यकाल के दौरान वह राज्य में उग्रवाद, अलगाववाद पर अंकुश लगाने में भी कामयाब रहे। उन्होंने यह भी दावा किया कि असम के लगभग 85 लाख से अधिक लोगों को उनके कार्यकाल के दौरान रोजगार मिला।

तरुण गोगोई उस समय विवादों में आ गए थे जब राष्ट्र "भारत के मिसाइल मैन" डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के निधन पर शोक संकुल में था, तो तब वे स्थानीय जनजाति की दो लड़कियों के साथ पारंपरिक लोक नृत्य कर रहे थे। उन्होंने इसके पश्चात माफी मांग ली थी। इसके साथ ही वे तब भी विवादों के घेरे में आ गए थे जब उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2016 से चार पदम पुरस्कार विजेताओं को भाजपा के निर्देश पर चुना गया। 


खेल और बागवानी में रुचि 


राजनीति के अलावा गोगोई खेलों में भी बेहद रूचि रखते थे। वे क्रिकेट, फुटबॉल और टेनिस के अलावा गोल्फ भी खेलते थे। हालांकि सर्वाधिक दिलचस्पी उनकी क्रिकेट में रही।

खेलों के साथ-साथ वे बागवानी करना भी पसंद करते थे। खाली समय में या कभी समय निकालकर वे पेड़-पौधे लगाते थे और उनकी देखभाल के साथ ही उन को संरक्षित करते थे।‌

असम के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले कांग्रेस के दिग्गज व उत्तर पूर्व क्षेत्र के लोकप्रिय नेता तरुण गोगोई को  26 अगस्त 2020 को Covid-19 के पॉजिटिव पाए जाने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया और उन्हें ब्लड प्लाज्मा ट्रांसप्लांट दिया गया था। 

Covid-19 और शरीर के कई अंगों के काम न करने के कारण उनका 84 साल की उम्र में 23 नवंबर 2020 (सोमवार) को गुवाहाटी में निधन हो गया। पार्टी के साथ-साथ यह राष्ट्र के लिए भी क्षति है कि हमने एक योद्धा के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति को खो दिया। 


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