Diabetes & Heart Disease
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दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है डायबिटीज | Diabetes & Heart Disease

बड़े बड़े शहरों में अस्त-व्यस्त दिनचर्या के कारण मनुष्य का शरीर कई तरह की और नई-नई बीमारियों से जूझ रहा है। गलत खानपान तथा बिगड़ी हुई जीवनशैली की वजह से छोटी-छोटी नहीं बल्कि बड़ी बीमारियां जीवन का हिस्सा बनने लगी हैं। इन सब में डायबिटीज या मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो अपने साथ-साथ कई और बीमारियों को भी जन्म देती है।डायबिटीज से पीड़ित लोगों में दिल की बीमारी होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। यदि इसका लगातार इलाज ना हो तो यह काफी जटिल रूप ले सकती है। इसके लिए मनुष्य को अपने रक्त में शर्करा के स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

आइए जानते हैं कि डायबिटीज क्या होता है तथा यह किस तरह दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है तथा  इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं?


क्या होता है डायबिटीज


शरीर की तंत्रों के गडबड़ी से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर बीमारी है डायबिटीज। शरीर में उपस्थित अग्नाशय ग्रंथि इंसुलिन हार्मोन को नहीं बना पाती जिससे रक्त में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। इसी अवस्था को हम मधुमेह या डायबिटीज के नाम से जानते हैं। दूसरी ओर जब दिल तक ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता तो उस अवस्था को दिल का दौरा कहा जाता है। 

दरअसल इन दोनों बीमारियों में सीधा संबंध है क्योंकि जब शरीर में इंसुलिन नहीं बनता तो रक्त में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है, जिस कारण मधुमेह जैसी बीमारी होती है या हम इसे कोरोनरी एथेरोसिलेरोसिस भी कहते हैं। समय के साथ धीरे-धीरे प्लॉक बनने लगता है। यह प्लॉक रक्त को ले जाने वाली धमनियों को सिकोड़ देता है। सिकुड़ी हुई धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त को दिल तक नहीं पहुंचा पाती जिससे दिल का दौरा पड़ने का सबसे बड़ा खतरा पैदा हो जाता है।

वैसे तो डायबिटीज होने के कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर्स की मानें तो टाइप-1 डायबिटीज मधुमेह का एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार है, जिसे रोका नहीं जा सकता क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण परिवार का इतिहास या जेनेटिक रिलेशन होता है। परन्तु टाइप-2 डायबिटीज मधुमेह का दूसरा प्रकार है जिसके पीछे मोटापा, दिनचर्या, जीवनशैली आदि कारण हो सकते हैं। डायबिटीज के इस प्रकार को अपनी आदतों में बदलाव करके अवॉइड किया जा सकता है। Diabetes & Heart Disease

एक रिसर्च के अनुसार टाइप-2 डायबिटीज से दिल की बीमारी होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है और टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में 58% लोग ऐसे होते हैं जो दिल से संबंधित दिक्कतों के होने से मरते हैं।

डॉक्टर बताते हैं कि इस टाइप का मधुमेह सामान्यतः वयस्क लोगों पर ही ज्यादा प्रभाव दिखाता है, परंतु भारत में अब युवाओं में भी इसका तेजी से प्रसार होता दिख रहा है। इन सब का सबसे बड़ा कारण है जंक फूड, अधिक कैलोरी वाला भोजन करना, मोटापा, डॉक्टर की सलाह ना मानना तथा निष्क्रियता और आलस्यपन आदि। जिस कारण युवाओं को बहुत ही कम उम्र में इस तरह की जानलेवा बीमारियों का जोखिम झेलना पड़ता है तथा अपनी जिंदगी को संकट में डालने वाले इन जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।

अक्सर देखा जाता है कि लोगों में धारणा प्रचलित होती है कि वे युवा जिन्हें डायबिटीज है उन्हें इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती, परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शायद ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि टाइप-2 डायबिटीज वाले युवाओं में मधुमेह जैसे कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। लोग यह नहीं जानते कि यदि ऐसी कोई भी स्थिति दिखाई देती है तो उसके लिए तत्काल प्रावधान में उपचार और प्रबंधन की आवश्यकता होती है क्योंकि यह लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कुछ में हल्के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि अधिक प्यास लगना और बार-बार मूत्र त्याग करना। इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यही लक्षण आगे चलकर इस बीमारी को और गंभीर रूप देते हैं।


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आइये जानते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज से कैसे बचा जा सकता है 


नियमित करें एक्ससरसाइज


शारीरिक तथा मानसिक स्वस्थता के लिए हमेशा व्यायाम करना काफी फायदेमंद होता है। इससे मधुमेह रोकने में भी सहायता मिलती है। एक्सरसाइज करने से कोशिकाओं के इंसुलिन संवेदनशीलता को नियमित करने में भी मदद मिलती है। इसके लिए प्रति दिन तेज रफ्तार में टहलना भी फायदेमंद होता है।


खाने में लें पौष्टिक खाद्य पदार्थ

खाने में स्वस्थ खाद्य पदार्थ ही लेने चाहिए। अत्यधिक ट्रांसफैट नमक या चीनी को अपने खाने में शामिल बिल्कुल न करें। ऐसी चीजों से बचें जो मोटापे को बढ़ाती हों। अपने खाने में सिट्रिक फूड या फल जरूर शामिल करें, तेल मसाला युक्त खाने से दूर रहें, सादा भोजन करें। फाइबर को अपने खाने में जरूर शामिल करें।


पानी की मात्रा तय करें


पानी बराबर मात्रा में पिएं। धूम्रपान व शराब बिल्कुल भी न पिएं। सॉफ्ट ड्रिंक या अन्य बाजार के पेय पदार्थ हो या किसी भी तरह के पेय पदार्थ, इनकी जगह पानी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। दिन में पानी पीने की मात्रा तय कर लें तथा तय मात्रा के हिसाब से ही पानी पियें।


वजन बढ़ने न दें


वजन पर विशेष रूप से ध्यान दें। स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए कसरत करें तथा स्वस्थ भोजन करें। अनियमित जीवनशैली से बचें तनाव, असमय तथा अनुचित खानपान से भी दूर रहें। कभी-कभी अत्यधिक नींद की कमी से भी वजन बढ़ सकता है इसका ध्यान रखें।


शुरू में दिखने वाले लक्षणों पर ध्यान दें


बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है। इन लक्षणों की बिल्कुल भी अनदेखी न करें। यदि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें तथा सलाह लें। अपनी जीवनशैली में बदलाव कर व्यवस्थित करें तथा सुरक्षित रहें।

इन सभी तरीकों को अपनाने के साथ डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।


डिस्क्लेमर: यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं, इन्हे किसी डॉक्टर या फिर स्वस्थ्य स्पेशलिस्ट की सलाह के तौर पर न लें, बिमारी या किसी संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से ही अपना इलाज करवाएं।

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