आज दुनिया कई प्रकार के मोर्चों से लड़ रही है जिसमें आतंकवाद एक सबसे बड़ा खतरा है। दुनिया का हर देश अपनी रक्षा व सुरक्षा के लिए अपनी जीडीपी का आधा से ज्यादा हिस्सा खर्च कर रहा है क्योंकि बिना सुरक्षा व स्वतंत्रता के किसी भी राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। दुनिया की पांच ताकतवर सेनाओं में से एक हमारी 'भारतीय सेना' है जो देश के दुश्मनों को घर में घुसकर मारने का दम रखती है। आज यानी 15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना आज 73वां आर्मी डे मना रही है। भारतीय थल सेना, अदम्य साहस और शौर्य का दूसरा नाम है। आज देश के उन वीर जवानों के हौसलों व साहस से हम अपने घरों में चैन और सुकून से रह रहे हैं और उन जवानों की शहादत से ही राष्ट्र विकास के नए आयामों को छू रहा है।
भारत में प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य में इस दिन सैन्य परेड, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य सैन्य कार्यक्रमों का आयोजन सैन्य मुख्यालय नई दिल्ली व अन्य सभी सैन्य मुख्यालय में किया जाता है। भारत के उन वीर सपूतों व बहादुर सैनिकों को सलामी दी जाती है जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान मां भारती की रक्षा के लिए दिया।
इतिहास (Story Behind Indian Army Day)
वह 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसने भारत वासियों के दिलों में स्वराज की अग्नि भर दी, लेकिन उत्तर और मध्य भारत में चलने वाले इस स्वतंत्र संग्राम का आंदोलन अंग्रेजों द्वारा दबा दिया गया। धीरे-धीरे नए कानूनों व नीतियों को पारित करके अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में अपनी जड़ें मजबूत कर ली। भारत वासियों को सेना में भर्ती कर के ब्रिटिश सेना के रूप में प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल किया। वर्ष 1922 से भारतीयों को भी सेना में स्थाई कमीशन दे दिया गया। अब भारतीय मूल के योग्य व्यक्ति भी सेना के उच्च अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे सकते थे। धीरे-धीरे स्वतंत्रता की आंच इस कदर बढ़ने लगी कि कई आंदोलनों ने स्वराज की भावना लोगों के दिलों में पैदा कर दी। अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत, अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हो गया।
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भारत स्वतंत्र जरूर हुआ लेकिन देश विभाजन का एक बहुत बड़ा दाग छोड़ गया। 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान दो नए राष्ट्रों का उदय हुआ। विभाजन के दौरान देशभर में कई स्थानों पर दंगे-फसाद, प्रशासनिक अव्यवस्था, शरणार्थियों के आवागमन के कारण उथल-पुथल का एक ऐसा माहौल बना, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन कहते हैं ना "कि समस्या के समय दो ही चीजें याद आती है पहला भगवान और दूसरा इंडियन आर्मी।" इस अव्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए भारतीय सेना को ग्राउंड जीरो पर उतारा गया और लगभग दो महीनों के अंदर दंगों को समाप्त करके सेना द्वारा शांति स्थापित कर दी गई। भारत आजाद जरूर हुआ लेकिन सेना अभी भी ब्रिटिश जनरल के अंडर में थी।
15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर ने भारत के उच्च सैन्य अधिकारी के रूप में सेवाएं दे रहे के.एम. करिअप्पा को भारतीय सेना की कमान सौंप दी। जनरल के. एम. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय थल सेना प्रमुख बने। 15 जनवरी 1949 के दिन भारतीय सेना की कमान एक भारतीय उच्च सैन्य अधिकारी में आने से 15 जनवरी को "थल सेना दिवस" के रूप में मनाया जाता है। के.एम. करिअप्पा पहले ऐसे सैन्य अधिकारी हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी। साल 1947 के भारत-पाक युद्ध में के. एम. करिअप्पा ने ही भारतीय सेना का नेतृत्व किया था।
भारतीय सेना से जुड़ी रोचक बातें
- 15 जनवरी यानी थल सेना दिवस के दिन आर्मी चीफ बेहतरीन सेवाओं के लिए जवानों को सम्मानित करते हैं व उनका हौसला बढ़ाते हैं।
- भारतीय थल सेना में सबसे बड़ी उपाधि फील्ड मार्शल की है जो आज तक सिर्फ 2 सैन्य अधिकारियों को दी गई है। (जनरल केएम करिअप्पा व जनरल एस.एम. जे. मानिकशा)
- युद्ध क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र है।
- भारतीय सेना वर्ष 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा गठित की गई थी लेकिन इसकी वर्तमान व्यवस्था वर्ष 1947 से प्रारंभ हुई।
- भारतीय सेना में लगभग 11,30,000 कार्यरत एवं 9,60,000 रिजर्व कर्मचारी हैं जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना के रूप में जानी जाती है।
- 16 दिसंबर 1971 में हुए युद्ध के बाद 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।