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फाइजर की वैक्सीन को यूरोपीय संघ ने दिया अप्रूवल | Worldwide Corona Vaccine Update

वर्तमान समय में दुनिया एक भयंकर महामारी कोरोनावायरस से जूझ रही है। आज हर देश की यही प्राथमिकता है कि वह जल्द से जल्द अपने नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीन का टीका तैयार कर लें। इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। दुनिया भर में इस समय कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए 223 वैक्सीन पर कार्य चल रहा है। डब्ल्यूएचओ वैक्सीन लैंडस्केप के अनुसार, 166 प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स में है यानी कि यह वैक्सीन इस समय लैब्स में ही टेस्ट किए जा रहे हैं। जबकि 57 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में है। सामान्य तौर पर क्लिनिकल ट्रायल्स में कई वर्ष लग जाते हैं लेकिन कोरोना जैसी आपात स्थिति में इसके वैक्सीन को कई देशों ने एमरजैंसी अप्रूवल दिया है।

इस समय में चीन की 4 और रूस व अमेरिका की दो वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है। 21 दिसंबर को यूरोपीय संघ ने फाइजर की वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है। 19 दिसंबर को अमेरिका ने माडर्ना के वैक्सीन को भी अप्रूवल दिया जबकि इससे पहले अमेरिका, यूके, कनाडा, यूएई, बहरीन समेत कई देशों ने फाइजर की वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। कई देशों में प्रायरटी ग्रुप्स का वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। फाइजर ने भारत में भी इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है तो वहीं भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(SII) ने भी अपने वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। अप्रूवल देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और एक्सपर्ट कमेटी ने इन कंपनियों से अतिरिक्त जानकारी मांगी है।


ट्रायल से पहले ही चीन में 4 व रूस में एक वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल 


बीजिंग कैंडिडेट (Beijing Candidate)


चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म बीजिंग इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की ओर से विकसित वैक्सीन को बाजार में उतारने की तैयारी में है। ‌चीन के साथ-साथ इस वैक्सीन को यूएई में भी इमरजेंसी अप्रूवल मिल गया है।


कैनसिनो बायोलॉजिक्स (Cancino Biologics)


चीनी मिलिट्री के रिसर्च इंस्टीट्यूशन के साथ मिलकर चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने वैक्सीन बनाया। चीनी मिलिट्री ने 25 जून को ही एक साल के लिए इसकी मंजूरी दे दी थी, तत्पश्चात कंपनी ने सऊदी अरब, पाकिस्तान तथा रूस में फेज-3 ट्रायल्स किए, लेकिन अभी तक भी उन नतीजों की घोषणा कंपनी द्वारा नहीं की गई।


वुहान कैंडिडेट (Wuhan Candidate)


चीनी सरकारी कंपनी सिनोफार्म ने वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के साथ मिलकर यह वैक्सीन तैयार की। जिसके फेज-1/2 ट्रायल्स के नतीजे अच्छे आए। फेज-3 के ट्रायल्स मोरक्को, पेरू और यूएई में शुरू हुई थे। सितंबर में यूएई ने सिनोफार्म के वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया।


सिनोवेक (Sinovec)


चीनी प्राइवेट कंपनी सिनोवेक के इनएक्टिवेटेड वैक्सीन के फेज-1/2 ट्रायल्स के नतीजे जून माह में आए थे। उसके बाद कंपनी ने 743 से अधिक वॉलिंटियर्स को ट्रायल्स में शामिल किया था जिनमें से किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं दिखे। नवंबर में ही इस ट्रायल्स के नतीजे घोषित हुए।


साइबेरियन वेक्टर इंस्टिट्यूट (Siberian Vector Institute)  


15 अक्टूबर को साइबर की वेक्टर इंस्टीट्यूट के कोरोना वायरस वैक्सीन Epivaccorona को रुस ने  इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया था। शुरुआती स्टेज में प्ले सेवो-कंट्रोल्ड ह्यूमन ट्रायल्स में 100 वॉलिंटियर्स को‌ यह वैक्सीन लगाई गई थी। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस वैक्सीन से कम से कम 2 महीने तक इंसान के शरीर में एंटीबॉडी रहती है।



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वैक्सीन के 4 ट्रायल्स में से तीन को मिला अप्रूवल (Three out of 4 vaccine trials received approval)


एस्ट्राजेने‌का/ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (AstraZeneca / Oxford University)


एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर वैक्सीन (कोविशेल्ड) बनाई है, जो शुरुआती नतीजों में 90% तक असरदार पाई गई है। 7 दिसंबर को दुनिया की प्रमुख वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में कोविशेल्ड के लिए इमरजेंसी अप्रवल मांगा था। जिस पर भारत की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोवशील्ड से और डाटा देने को कहा। इसके साथ ही यह भी संकेत दिए कि जब तक ब्रिटेन में इस वैक्सीन पर कोई फैसला ना हो जाता, तब तक कोई फैसला नहीं लेंगे।


फाइजर और बायोएनटेक (Pfizer and Bioentech)


अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की संयुक्त कोरोना वैक्सीन फेज-3 ट्रायल्स में 95% असरदार साबित हुई है। 2 दिसंबर को यूके में इस वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया गया। 11 दिसंबर को अमेरिका ने भी फाइजर की वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया। 4 दिसंबर को भारत में भी फाइजर ने  इमरजेंसी अप्रूवल मांगा। 


मॉडर्ना (अमेरिका) (Moderna (America))


अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के दावे के मुताबिक उसका बनाया वैक्सीन कोरोना के मरीजों को बचाने में 94.5% तक असरदार है। यह दावा लास्ट स्टेज क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों के आधार पर किया गया है। 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिन तक यह वैक्सीन सुरक्षित रह सकती है। अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर ने इस वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है।


गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट(रूस) (Gamalaya Research Institute (Russia))


रूस निर्मित वैक्सीन स्पूतनिक V ट्रायल के दौरान कोरोना से लड़ने में 95% असरदार साबित हुई है। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान दूसरे शुरुआती एनालिसिस में यह बात सामने आई है। पहले डोज के 28 दिन बाद इस वैक्सीन ने 91% इफेक्टिवनेस दिखाई थी। डॉ रेड्डी'ज लेबोरेटरीज के साथ रूसी संस्था के करार के साथ ही भारत में फेज-2/3 कंबाइन ट्रायल शुरू हो गए हैं।


भारत के स्वदेशी वैक्सीन समेत 5 वैक्सीन अंतिम दौर में (5 vaccines including India's indigenous vaccine in final round)


कोवैक्सीन (भारत) (Covaxin (India))


भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई जा रहे इस वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। करीब 25 साइट्स पर यह ट्रायल्स हो रहे हैं। यह वैक्सीन हैदराबाद कंपनी भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (NIV) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(ICMR) द्वारा मिलकर तैयार की जा रही है। अब तक के ट्रायल्स में वैक्सीन प्रभावी रहा तथा अब फेज-3 ट्रायल्स के नतीजों का इंतजार है।


जैनसेन फार्मा (अमेरिका) (Janssen Pharma (US))


जॉनसन एंड जॉनसन की सब्सिडियरी जैनसेन फार्मा का इनएक्टिवेटेड वैक्सीन फेज-1/2 ट्रायल्स में असरदार साबित हुआ है। करीब 60 हजार लोगों पर इसका अंतिम ट्रायल्स चल रहा है।


नोवावैक्स (Novavax)


अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग का करार कंपनी ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ किया है। अमेरिकी लोगों के साथ ही भारत में भी इसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।


मेडिकार्गो (Medicargo)


कनाडाई ड्रग डेवलपमेंट कार्गो ने भी फेज-2/3 कंबाइन ट्रायल शुरू किए हैं। शुरुआती स्टेज में कंपनी के वैक्सीन और ग्लैक्सोस्मिथ क्लाइन(GSK) के वैक्सीन बूस्टर ने वायरस को खत्म करने वाले एंड बॉडी बनाने में कामयाबी हासिल की है।


अनहुई झिपेई लॉन्गकांग बायोफार्मास्यूटिकल (चीन) (Anhui Zhipei Longkang Biopharmaceutical (China))


इस वैक्सीन निर्माण की शुरुआत जून में ही शुरू हो गई थी। यह वैक्सीन बायोफार्मास्यूटिकल और चाइनीस एकेडमी ऑफ साइंस ने बनाया है।

डिस्क्लेमर: यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं, इन्हे किसी डॉक्टर या फिर स्वस्थ्य स्पेशलिस्ट की सलाह के तौर पर न लें, बिमारी या किसी संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से ही अपना इलाज करवाएं।

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