A Story Based on a True Incident
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सच्ची घटना पर आधारित एक कहानी - कायरता' | A Story Based on a True Incident

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। आज से 22 साल पहले की बात है कि "बिहार" के 'पटना' में एक आदमी अपने पूरे परिवार के साथ रहता था भले ही उसका परिवार सिर्फ तीन सदस्यों का था इन तीन सदस्यों में उसकी पत्नी उसका बेटा और वह स्वयं  शामिल था। उनकी जिंदगी सामान्य तरीके से चल ही रही थी उनका गुजर बसर रोजमर्रा की तरह हो ही रहा था कि  एक दिन अचानक से  उनकी  जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा उस आदमी की पत्नी की तबीयत बहुत खराब होने लगी। अपनी पत्नी की तबीयत खराब देख कर वह आदमी डॉक्टर को बुलाने चला गया जब डॉक्टर साहब घर पर आए तो उन्होंने बीमारी का पता लगाया और कहा कि 'उन्हें कैंसर है और वह भी अपने अंतिम चरण में है इनका ठीक होने का चांस सिर्फ 1%है'। यह सुनते ही आदमी बहुत घबरा गया। एक दिन उस आदमी की पत्नी सुबह सो करके उठी तो उसने अपने बेटे को आवाज लगाई जब बेटा समय से ना पहुंचा तो उसने अपने पति को आवाज लगाई इतने में आस पड़ोस के लोगों ने कहा कि 'तुम्हारा बेटा और तुम्हारा पति तुम्हें छोड़कर जा चुके हैं'। यह सुनकर उस आदमी की पत्नी सदमे में चली गई अपने पति और अपने बेटे का इंतजार करते करते उसने कुछ ही माह में अपनी अंतिम सांस ली और आस-पड़ोस के लोगों ने ही उस महिला का क्रिया कर्म किया। 

इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे कि उस महिला का पति और बेटा घर वापस लौट आए ।

आसपास के लोग उन दोनों को देखकर बहुत सारी बातें बनाते और उन्हें कड़वी बातें सुनाते उस आदमी को तो आस-पड़ोस वाले लोग कायर कहकर पुकारते थे। कायरता का धब्बा उस आदमी को करौंद रहा था वह आदमी कभी भी चैन से नहीं रह पाता हर पल उसे कायर कहकर पुकारा जाना और हीन भाव से लोगों का उसे देखना बहुत गंदा लगता था। 


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एक सुबह वही आदमी घूम रहा था उसके दिमाग में कायरता वाली बात चुभ रही थी वह अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि अचानक से उसे आवाज आई बचाओ - बचाओ यह आवाज सुनकर उसके कान खड़े हो गए जब आवाज की तरफ भागा तो उसने देखा की एक महिला रेल  की पटरियों से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और दूर से  ट्रेन के होरन की आवाज भी बज रही थी। वह आदमी उस औरत को बचाने के लिए भागा उसने उस औरत के पैर को छुड़ाने का हर प्रयत्न किया उसका यह प्रयत्न रंग लाया और उस औरत का पैर वह छुड़ाने में कामयाब रहा। परंतु इस बीच उसका खुद का पैर ट्रेन की पटरी में फस गया जिसे बहुत कोशिशों के बाद भी छुड़ा ना सका उसने तुरंत अपने बेटे को बुलाया और कहा कि सुनो पूरे आस- पड़ोस वालों को बता देना कि मेरे पिता कायर नहीं है उन्होंने अपनी जान पर खेलकर एक महिला की जान बचाई। उस समय की परिस्थितियां ही ऐसी थी कि मैं अपनी पत्नी की जान ना बचा सका। यदि हम उसके सामने होते तो वह हमें देखकर ज्यादा परेशान होती  और तुम्हारे लिए भी  अपनी मां को अपने सामने मरते हुए देखना  पूरे जीवन भर का  दुख जैसा था इसलिए मैं तुम्हें लेकर उससे दूर चला गया।

इतना कहते ही ट्रेन की पटरी से उस आदमी के दोनों पैर कट गए और उस आदमी ने कुछ ही समय बाद अपना दम तोड़ दिया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी की परिस्थितियों को बिना जाने उस पर लांछन नहीं लगाने चाहिए उपरोक्त कहानी में आदमी कायर नहीं था बल्कि वह साहसी था जिसने अपनी जान पर खेलकर महिला की जान बचाई।

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