main nara e mastana lyrics and meaning
कविता

मैं नारा-ए-मस्ताना , मैं शोख़ी-ए-रिंदाना -

मैं नारा-ए-मस्ताना , मैं शोख़ी-ए-रिंदाना 

मैं तश्ना कहाँ जाऊं , पी कर भी कहाँ जाना 

मैं सोज़ -ए -मोहब्बत हूँ , मैं एक क़यामत हूँ 

मैं अश्क -ए -नदामत हूँ , मैं गौहर -ए -यकदाना 

मैं ताईर -ए -लाहूती, मैं जौहर -ए -मलकूती 

नासूत ने कब मुझ को इस हाल में पहचाना 

मैं शाम -ए - फ़रोज़ां हूँ , मैं आतिश -ए -लरज़ा हूँ

मैं सोजिश -ए -हिज्राँ हूँ , मैं मंजिल -ए -परवाना 

किस याद का सेहेरा हूँ , किस चश्म का दरया हूँ 

खुद तूर का जलवा हूँ , है शक्ल कलीमाना 

मैं हुस्न -ए -मुजस्सिम हूँ , मैं गेसू -ए -बरहम हूँ 

मैं फूल हूँ शबनम हूँ , मैं जल्वा -ए -जानना 

मैं वासिफ -ए -बिस्मिल हूँ , मैं रोनक -ए -महफ़िल हूँ 

इक़ टूटा हुवा दिल हूँ , मैं शहर में वीराना 



नारा-ए-मस्ताना = मस्तानो की ललकार ; शोख़ी-ए-रिंदाना=मतवालों जैसी शरारत , चुलबुलाहट; सोज़ -ए -मोहब्बत =मुहब्बत में जलानेवाला ; अश्क -ए -नदामत =पश्चात्ताप के आंसू ; गौहर -ए -यकदाना=अद्वितीय मोती ; ;ताईर -ए -लाहूती,= स्वर्ग तक उडनेवाला पक्षी /जिब्रील नामक देवदूत ;जौहर -ए -मलकूती =स्वर्ग/गगन के साम्राज्य के रत्न ;नासूत =इहलोक ,संसार ;फ़रोज़ां =प्रकाशमान ,तेजस्वी;आतिश -ए -लरज़ा =थरथराती हुई आग;सोजिश -ए -हिज्राँ=विरह की जलन ; तूर का जलवा =सीरिया का पवित्र पहाड़ जहां मुसा को दैवी प्रकाश दिखाई पडा था ; कलीम = मुसा ; मुजस्सिम = साक्षात ,साकार ;गेसू -ए -बरहम = बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें;-बिस्मिल = १.जख्मी,आहत २, प्रेमी,प्रियकर

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