Mystery of Puri Jagannath Temple in Odisha
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क्यों जगन्नाथपुरी में बाँधा गया हनुमान जी को, जानते है इस रहस्य को

भारत के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग धर्म संस्कृति और समृद्ध परंपरा को संजोए हुए कई मंदिरों का निर्माण हुआ है। इनमें से कई मंदिर अपनी मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के कारण प्रसिद्ध हैं तो कई अपने रहस्यमयी अंदाज के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा निर्माण की शैली और पुराने जमाने में लोगों के रहने के ढंग को भी ये मंदिर बखूबी बयां करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई वर्षों से भारत की भूमि पर अपने रहस्य को दबाए हुए है। इस मंदिर में एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई ऐसे रहस्य हैं जिनको जानकर सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। 

जी हां! उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित जगन्नाथ पुरी एक ऐसा मंदिर है जिसका स्मरण करते ही सभी लोगों के हाथ खुद ही जुड़ जाते हैं। यहां के लोगों को इस मंदिर पर बड़ी श्रद्धा और विश्वास है और हो भी क्यों ना, भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर है ही इतना प्रसिद्ध। परंतु जितना प्रसिद्ध यह मंदिर है उतने ही प्रसिद्ध हैं इस मंदिर के रहस्य। यह मंदिर कई पौराणिक रहस्यों से भरा हुआ है। आज भी इन रहस्यों के प्रमाण यहां मिलते हैं। इन अनसुलझी पहेलियों को सुलझाना अभी तक किसी के बस में नहीं हैं क्योंकि इनमें कोई रहस्य समुद्र से जुड़े हुए हैं तो कोई मूर्तियों से। आइए जानते हैं इन रहस्यों के बारे में।


जगन्नाथ जी के मंदिर के हैं कई रहस्य


कहा जाता है कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बहुत से रहस्य विद्यमान हैं। इनमें से कुछ रहस्य ऐसे हैं जो विज्ञान को भी पछाड़ दें। दरअसल इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान या पक्षी उड़ नहीं सकता। इस बात को मानना थोड़ा मुश्किल है परंतु यह सच है।

इसके अलावा इस मंदिर में अधूरी लकड़ी की मूर्तियां भी विराजित हैं। यह अपने आप में ही एक बड़ा रहस्य माना जाता है। दरअसल जगन्नाथ मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है और इस मंदिर में एक बड़ा सिंह द्वार है। इसके सहारे मंदिर में प्रवेश किया जाता है। कहा जाता है कि जब तक सिंह द्वार के बाहर लोगों के कदम रहते हैं तो उन्हें समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है। परंतु जैसे ही लोग सिंह द्वार के  भीतर कदम रखते हैं तो उन्हें समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है। इसके बाद जैसे ही मंदिर से बाहर आते वक्त सिंह द्वार से बाहर निकलते हैं तो समुद्र की आवाज वापस सुनाई देने लगती है।

इस तरह से देखा जाए तो मंदिर के कई रहस्य हैं जिनको जानकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। मंदिर के इन रहस्यों साथ इसके आसपास के भी कई रहस्य ऐसे हैं जिन्हें देखकर और सुनकर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता और इन्हें जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। ऐसा ही एक बड़ा रहस्य है पवनपुत्र हनुमान का। आइए इस रहस्य को जानते हैं।


देवों की एक पौराणिक कथा के अनुसार जगन्नाथ पुरी मंदिर में जिस वक्त भगवान जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित की गई तो उनके पास ही समुद्र को उनके दर्शन की तीव्र इच्छा जागृत हो गई। इसके बाद समुद्र मंदिर के भीतर प्रवेश करने लगे। समुद्र द्वारा कई बार मंदिर के भीतर प्रवेश किया गया। परंतु जब भी समुद्र मंदिर के अंदर प्रवेश करते मंदिर को काफी हानि पहुंचती थी। मंदिर के सभी पेड़-पौधों से लेकर दीवारें तक क्षतिग्रस्त हो जाती थी। ऐसे में मंदिर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को देखकर यहां के भक्तों ने देवताओं से मदद मांगी।

उस वक्त भगवान जगन्नाथ जी ने समुद्र की यह स्थिति नियंत्रित करने के लिए हनुमान जी को पृथ्वी पर भेजा। हनुमान जी ने आते ही समुद्र को बांधकर जकड़ लिया। कहा जाता है कि इसी कारण पुरी का समुद्र बिल्कुल शांत है और यह हमेशा ही शांत अवस्था में रहता है। परंतु इस घटना के बाद समुद्र ने एक दिन चतुराई के साथ हनुमान जी को भगवान जगन्नाथ की दर्शन के लिए उकसाया। इस पर हनुमान जी के मन में भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने की इच्छा जागृत हुई। 

इस इच्छा के फल स्वरुप हनुमान जी भी भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर की ओर चले गए। परंतु हनुमान के पीछे-पीछे समंदर भी मंदिर की ओर जाने लगा और समंदर के मंदिर के अंदर जाते ही फिर से मंदिर को काफी नुकसान हो गया। उस वक्त भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को इस गलती की सजा देते हुए स्वर्ण बेड़ियों से बांधकर जकड़ लिया। तब से लेकर आज तक जगन्नाथ पुरी के समुद्र तट पर एक हनुमान जी का प्राचीन मंदिर विद्यमान है और इस मंदिर में आज भी हनुमान जी कैदी के रूप में बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। इस तरह से जंजीरों में कैद पवन पुत्र हनुमान की इस मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है। यह जगन्नाथ पुरी के बड़े रहस्यों में से एक हैं।

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