Amazing Facts About Haridwar
कुम्भ 2021

हरिद्वार की डाट वाली हवेली के बारे में सुना है? जानिए क्यों है यह हवेली खास

चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार "हरिद्वार" भारतीय संस्कृति और सभ्यता का बहूरूप दर्शन प्रस्तुत करता है। "गंगाद्वार" उपनाम से प्रसिद्ध हरिद्वार प्राचीन काल से आस्था और अध्यात्म का केंद्र रहा है। हिंदू समाज का प्रमुख तीर्थ होने के साथ-साथ हरिद्वार हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है जहां पर "हर की पैड़ी" पर स्थित "ब्रह्मकुंड" महाकुंभ का एक पवित्र घाट है। 


शिवालिक श्रेणियों के "बिल्व" व "नील" पर्वतों के मध्य गंगा के दाहिने तट पर स्थित हरिद्वार को तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार, चार धामों का द्वार, स्वर्गद्वार, मायापुरी आदि उपनाम से जाना जाता है। प्राचीन इतिहासकारों का मानना है कि हरिद्वार का नाम "खांडव वन" के नाम से प्रसिद्ध था जिसमें अज्ञातवास के समय पांडव छिपकर रह रहे थे। हरिद्वार नाम का सम्भवतः प्रथम प्रयोग "पद्मपुराण" में मिलता है। जिसमें हरिद्वार को सर्वश्रेष्ठ तीर्थ की संज्ञा दी गई है। महाभारत के वन पर्व में जब भीष्म- पुलस्य का संवाद होता है तो उसमें युधिष्ठिर द्वारा भारतवर्ष के तीर्थ स्थल गंगाद्वार अर्थात हरिद्वार कनखल के तीर्थों का भी वर्णन किया गया है।


हरिद्वार के बारे में कुछ विशेष बातें


हरिद्वार एक ऐसा स्थान है जहां से गंगा तराई क्षेत्र में अवतरित होती है। कहा जाता है कि हरिद्वार ही वह पहला स्थान है जहां सतयुग में राजा भगीरथ के अथक प्रयासों से गंगा पृथ्वी पर आकर उनके पापों को धोने के लिए तैयार हुई थी।


हरिद्वार भारत के उन 4 तीर्थ स्थलों में से एक है जहां पर कुंभ का आयोजन किया जाता है यहां पर प्रतिदिन श्रद्धालु गंगा देवी की आरती और प्रार्थना करते हैं।


हरिद्वार योगाभ्यास का केंद्र और योग गुरु रामदेव की कर्मभूमि है।


हरिद्वार में प्राचीन ऐतिहासिक मोती बाजार है जो विभिन्न भोज्य पदार्थों के लिए मशहूर है।


शांतिकुंज आयुर्वेद पर अनुसंधान का विश्व भर में सुप्रसिद्ध केंद्र हरिद्वार में स्थित है।


हरिद्वार में परदेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग पारा निर्मित है विरला घाट सबसे पुराने घाटों में से एक यहां पर स्थित है।


हरिद्वार में स्थित "हर की पैड़ी" के बारे में कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के भाई की याद में यहां पर पौड़ियां अर्थात सीढ़ियों का निर्माण किया गया था। जिसे "भर्तृहरि की पैड़ी" कहा जाता था। कालांतर में यही हर की पैड़ी के नाम से जाना जाता है।विक्रमादित्य द्वारा निर्मित "डाटवाली हवेली" के नाम से निर्मित भवन आज भी हर की पैड़ी के पास स्थित है।


जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने 1000 वर्ष पूर्व मायापुरी हरिद्वार क्षेत्र में रहकर तपस्या की थी।


हरिद्वार से होकर गंगा को 7 धाराओं में बहना पड़ता है जिसका कारण यह बताया जाता है कि सप्त ऋषियों द्वारा इस स्थान पर तप करने के कारण गंगा नदी यहां से सात धाराओं में प्रवेश करती हैं।


धृतराष्ट्र, गांधारी तथा विदुर में हरिद्वार में अपना शरीर त्याग किया था इसके साथ साथ विदुर ने मैत्रेय ऋषि को महाभारत की कथा भी हरिद्वार में ही सुनाई थी।


सन 634 ईस्वी में जब चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया तो उसने हरिद्वार नगर का भ्रमण किया इस नगर को उसने मो-यू-लो तथा गंगा को "महाभद्रा" नाम दिया मो -यू -लो का अर्थ "मयूरपुर" कहा जाता है।


अकबर कालीन इतिहासकार अबुल फजल द्वारा निर्मित पुस्तक "आईने अकबरी" में कहा गया है कि माया ही हरिद्वार के नाम से जानी जाती है। फजल लिखते हैं कि अकबर की रसोई में गंगाजल प्रयुक्त होता था और यह गंगाजल हरिद्वार से अकबर बड़े बड़े घडों में भरकर मंगवाता था।


कहा जाता है कि अकबर के सेनापति मानसिंह ने हरिद्वार में हर की पैड़ी का जीर्णोद्धार करवाया था। और प्राचीन नगर के खंडहरों पर आधुनिक हरिद्वार की नींव रखी थी। गंगा की धारा के मध्य अष्टकोणीय स्तम्भ बनाकर इसे साधना स्थल के रूप में प्रयोग करने के लिए किसी साधु को ताम्रपत्र लिखकर दान दे दिया था यह अष्टकोणीय स्तंभ आज भी यहां विद्यमान है।


जहांगीर के शासनकाल में जब पहला यूरोपियन यात्री टॉम कार्यट हरिद्वार आया तो उसने हरिद्वार को शिव की राजधानी कहा स्वयं जहांगीर 1620 ईस्वी में कुछ दिनों के लिए हरिद्वार आ कर रहा था।


गंगाद्वार, हर की पैड़ी, माया देवी मंदिर, भैरव मंदिर, नारायण बलि मंदिर और राजा वेन का किला हरिद्वार के प्राचीन प्रमुख स्थल रहे हैं। श्रवण नाथ मंदिर में बोध वृक्ष के नीचे कनिंघम को समाधि स्थल से बुद्ध की प्रतिमा भी मिली हुई है।


हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक एवं दर्शनीय स्थलों में हर की पैड़ी, कुशावर्त, ब्रह्म कुंड, कांगड़ा मंदिर, सुभाष घाट, गऊघाट,  दक्षिणेश्वर मंदिर, गोरखनाथ मंदिर, चंडी देवी मंदिर,  प्राचीन गंगा नीलधारा, महामाया देवी मंदिर, श्री मनसा देवी मंदिर ,भीमगोड़ा कुंड ,जयराम आश्रम, भारत माता मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम ,विष्णु चरण पादुका मंदिर, श्री गंगा मंदिर, 8 खंबा मंदिर ,गंगाधर महादेव मंदिर, गायत्री मंदिर ,नीलेश्वर महादेव, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि है। जगतगुरु शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती द्वारा स्थापित दक्षिणी शैली का मकर वाहिनी गंगा का एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर में काले पत्थर की गंगा की प्रतिमा है।


कालिदास के मेघदूत में हरिद्वार नगर का वर्णन मिलता है।


हजरत अलाउद्दीन अहमद साबिर की दरगाह पिरान कलियर हिंदू और मुस्लिम धर्मों के बीच एकता की एक जीवंत मिसाल हरिद्वार से थोड़ी दूर रुड़की में मौजूद है।


महात्मा गांधी ने 1915 और 1927 में हरिद्वार की यात्रा की थी।

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