How to Become Naga Sadhu
कुम्भ 2021

जानिये कैसे बनते है नागा साधु और क्या है इनके नियम

हिंदू धर्म में लगने वाले सबसे बड़े मेलों में से एक कुंभ मेला, भारत के चार पवित्र स्थानों में आयोजित होता है जिसमें कि हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक व उज्जैन शामिल है। आस्था के इस महाकुंभ में देश ही नहीं अपितु विदेश से लाखों लोग शामिल होकर मां गंगा में स्नान करते हैं। लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं की भीड़ से इस मेले में एक अलग सी रंगत निखर आती है लेकिन इस मेले को सबसे रहस्यमयी रंग देते हैं "नागा साधु"। नागा साधु कुंभ मेले की एक अलग ही पहचान होते हैं। आस्था के महाकुंभ में शाही स्नान लगाया जाता है तो नागा साधु ही सबसे पहले स्नान करते हैं जिन्हें धर्म रक्षक योद्धा माना जाता है। नागा साधुओं का संबंध शैव संप्रदाय से है। धर्म के ये योद्धा आम जीवन से हटकर कठोर अनुशासित जीवन व्यतीत करते हैं। आइए जानते हैं नागा साधुओं के जीवन की कुछ रहस्यमयी बातें।


नागा साधु बनने की शुरुआत :


चीनी यात्री ह्वेनसांग के वर्णन के अनुसार, कुंभ मेले के संस्थापक आदि गुरु शंकराचार्य को माना जाता है। धर्म के नाम पर हो रहे संघर्ष और विदेशी आक्रमणों से धर्म की रक्षा करने के उद्देश्य से आदि गुरु शंकराचार्य ने एक मार्ग तैयार किया। उन्होंने ऐसे युवाओं को धर्म की रक्षा के लिए शामिल किया जो कठोर साधना का पालन करके धर्म की रक्षा कर सकें। अपने कठिन प्रयास और मेहनत से उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए योद्धा तैयार किए जो 'नागा साधुओं' के रूप में सामने आए। अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के दौरान इन हजारों नागा साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए अब्दाली की सेना का सामना करके गोकुलधाम की रक्षा की। यही कारण है कि इन्हें हिंदू धर्म में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।


कैसे बनते है नागा साधु :


वर्तमान में संपूर्ण भारत में नागा साधुओं को बनाने के लिए 13 अखाड़े हैं लेकिन इन सब में जूनागढ़ अखाड़ा ऐसा अखाड़ा है जहां सर्वाधिक नागा साधु बनाए जाते हैं। नागा साधु बनने के लिए बड़ा परित्याग एवं कठोर जीवन व्यतीत करना पड़ता है। महाकुंभ के दौरान ही नागा साधु बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। नागा साधु केवल वही बन सकता है जो दृढ़ इच्छा शक्ति रखता हो। जब भी कोई नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में जाता है तो उसे सामान्य जीवन से हटकर कुछ विशेष प्रकार की परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है, सीधे ही तुरंत हर किसी को नागा साधु नहीं माना जाता है उसे कई परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है।


नागा साधु बनने में लगते हैं 6 साल :


नागा साधु बनने के लिए कुछ महीने या कुछ साल नहीं बल्कि यह लगभग 4 से 6 साल की लंबी व कठिन प्रक्रिया है। इस पूरी प्रक्रिया में वे सिर्फ एक लंगोट को ही शरीर पर पहने रहते हैं तथा कुंभ मेले में अंतिम प्रण लेने के बाद लंगोट का त्याग करके सारा जीवन निर्वस्त्र व्यतीत करते हैं।


ब्रह्मचर्य का पालन :


कहीं पर कोई भी व्यक्ति जो नागा साधु बनना चाहता है उसके पृष्ठभूमि, वर्तमान स्थिति आदि की गहन जांच करने के बाद ही उसे नागा साधुओं के बनने के लिए प्रवेश मिलता है। इसके बाद एक लंबे समय के लिए व्यक्ति को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है और गुरुओं की सेवा करनी पड़ती हैं।


रहते हैं पांच गुरु :


कुंभ मेले में 108 डुबकी लगाकर नागा साधु बनने की शुरुआत की जाती है और उनके पांच गुरु निर्धारित किए जाते हैं। स्नान के बाद उन्हें भगवा वस्त्र, रुद्राक्ष की माला और मुर्दे की राख या हवन की राख दी जाती है जिसके बाद उन्हें अवधूत बनाने की तैयारी की जाती है।


मंत्र जाप :


अवधूत करने के बाद उनका जनेऊ संस्कार किया जाता है तथा सन्यासी जीवन की शपथ दिलाई जाती है। अवधूत के दौरान ही महाकुंभ में उन्हें स्वयं और अपने परिवार के सदस्यों का पिंडदान करना पड़ता है। यह सब करने के बाद वे रात्रि भर ओम नमः शिवाय का जाप करते हैं।


अवधूत से नागा साधु की ओर :


रात भर मंत्र जप के बाद सुबह होते ही अवधूत को अखाड़े में ले जाकर विजया हवन कराए जाता हैं, इसके उपरांत गंगा में फिर 108 डुबकी लगाई जाती है। यह सभी प्रक्रिया के बाद अंत में अखाड़े ध्वज के नीचे दंडी संस्कार कराकर एक सन्यासी को नागा साधु बनाया जाता है।


करते हैं कड़े नियमों का पालन :


नागा साधु कोई साधारण जीवन नहीं है जिस कारण हर कोई व्यक्ति नागा साधु नहीं बन पाता। नागा साधुओं को अपने जीवन में कई नियमों का पालन करना पड़ता है। यह साधु केवल एक ही बार भोजन करते हैं जिन्हें सिर्फ 7 घरों से भीख मांग कर खाना पड़ता है, यदि उन्हें 7 घरों से भीख नहीं मिलती तो उस दिन उन्हें कुछ नहीं खाना पड़ता। यह न ही घर में और ना ही बस्ती में निवास करते हैं और पूरे जीवन जमीन पर सोते हैं। नागा साधु किसी को प्रणाम नहीं करते, कुछ इसी प्रकार और भी कड़े नियमों का पालन नागा साधुओं को करना पड़ता है।

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