What is Shahi Snan in Kumbh Mela
कुम्भ 2021

आखिर कैसे और क्यों होता है कुम्भ मेला में साधुओं के द्वारा शाही स्नान

हिंदू धर्म में कुंभ मेले को बेहद अहम माना जाता है। अध्यात्म और धर्म के इस पर्व में कई चीजें देखने को मिलती है विद्वानों के प्रवचन, साधना हठयोग में लिप्त नागा साधु, ललाट पर त्रिपुंड, अखाड़ों का लंगर मेले का मुख्य आकर्षण रहते हैं। इन सबके बीच कुंभ मेले में सिद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाने वाला कुंभ स्नान भी बेहद खास माना जाता है हालांकि हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का महत्व बेहद खास बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति कुंभ स्नान करता है उसके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।


शाही स्नान का इतिहास


कुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। सदियों से शाही स्नान की यह प्रथा चली आ रही है। शाही स्नान वैदिक परंपरा नहीं, अपितु इसका प्रारंभ 14 वी तथा 16 वीं शताब्दी के मध्य माना जाता है। जब भारत पर मुगलों का आक्रमण हुआ तो धर्म और परंपरा की रक्षा करने के लिए हिंदू शासकों ने मुगल आक्रांताओं से बचने के लिए नागा साधुओं से मदद ली। धीरे धीरे समय की गति परिवर्तनशील रही। नागा साधुओं का वर्चस्व धर्म और राष्ट्र के ऊपर दिखने लगा जिससे मध्यकालीन हिंदू शासकों को अपने अस्तित्व पर खतरा मंडराता नजर आया। हिंदू शासकों ने नागा साधुओं के साथ मिलकर राष्ट्र और धर्म के झंडे तथा नागा साधु और शासकों से काम का बंटवारा करना चाहा। इन नागा साधुओं को खास महसूस हो सके इसके लिए कुंभ स्नान में सबसे पहले लाभ इन नागा साधुओं को देने की व्यवस्था की गई। तब से इन साधुओं को राजशाही वैभव के साथ राजाओं की भांति शाही स्नान का वैभव प्रदान किया गया और तब से लेकर आज तक शाही स्नान की यह प्राचीन परंपरा चली आ रही है।


शाही स्नान की सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर धीरे-धीरे विभिन्न अखाड़ों में संघर्ष शुरू होने लगा। कहा जाता है कि वर्ष 1930 में महानिर्वाणी अखाड़े और रामानंद अखाड़े के बीच साधुओं के सम्मान में खूनी संघर्ष शुरू हो गया। संघर्ष इतना बढ़ गया कि अखाड़ों से हथियार निकलने शुरू हो गये जिससे पूरी नदी रक्तरंजित होने लगी। इसी प्रकार वर्ष 1960 में शैव धर्मावलंबियों और वैष्णव धर्मावलंबियों के बीच शाही स्नान को लेकर संघर्ष शुरू हो गया जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश भारत में इन अखाड़ों के स्नान का क्रम तय किया गया जो आज तक चला आ रहा है।


क्या है शाही स्नान?


शाही स्नान वह स्नान है जिसमें साधुओं का सम्मान एकदम राजशाही तरीके से किया जाता है। शाही स्नान का पहला नियम है कि इस दिन अलग-अलग अखाड़ों के साधु स्नान करते हैं।


क्या होता है शाही स्नान में?


शाही स्नान को राज योग स्नान भी कहा जाता है। जिसमें विभिन्न अखाड़ों से ताल्लुक रखने वाले साधु स्नान के लिए आते हैं। यह साधु सोने- चांदी की पालकी और हाथी- घोड़ों पर सवार होकर स्नान के लिए नदी तट पर पहुंचते हैं। हर अखाड़ा अपनी भक्ति और वैभव का प्रदर्शन कर पवित्र नदी में शुभ मुहूर्त पर डुबकी लगाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त पर डुबकी लगाने से अमरत्व की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि शाही स्नान का कुंभ मेले में अपना सर्वोच्च स्थान रहता है जब साधुओं का शाही स्नान संपन्न हो जाता है उसके पश्चात ही आम जनता को नदी में डुबकी लगाने की इजाजत दी जाती है।


शाही स्नान का समय


शाही स्नान का एक निश्चित समय अर्थात शुभ लग्न शुभ मुहूर्त होता है। शाही स्नान निर्धारित दिन पर सुबह 4:00 बजे से प्रारंभ होता है। इस दिन सभी साधु संतों का अखाड़ा 4:00 बजे नदी तट पर देखने को मिलता है। यह साधु अपने हाथों में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र लिए शरीर पर भस्म लगाए नारे लगाते रहते हैं। शुभ मुहूर्त में साधुओं का अखाड़ा निर्वस्त्र या वस्त्र में नदी में डुबकी लगाते हैं।


कौन सा अखाड़ा सबसे पहले डुबकी लगाता है?


शाही स्नान से पहले भिन्न भिन्न प्रकार की तैयारियां की जाती हैं। एक निश्चित क्रम में प्रारंभ होने वाले शाही स्नान में सर्वप्रथम जूना, आव्हान और अग्नि अखाड़ा स्नान करते हैं। इसके बाद निरंजनी और आनंद अग्नि अखाड़ा पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं ।और अंत में महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा के साधु- संत हर की पैड़ी के ब्रह्मकुंड में कुंभ का स्नान कर अमरत्व प्राप्त करने हेतु डुबकी लगाते हैं।


शाही स्नान का महत्व


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति कुंभ स्नान करता है उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। ऐसी मान्यता भी है कि कुंभ स्नान करने से पित्रों का आशीर्वाद भी सदा बना रहता है। हिंदू धर्म में स्नान का अपना विशेष महत्व रहा है कुंभ मेले के दौरान आप किसी भी दिन स्नान कर विशेष फल की प्राप्ति कर सकते हैं लेकिन यदि आप शाही स्नान के दिन स्नान करते हैं तो इस दिन स्नान करने से आपको अमर तत्व की प्राप्ति होती है।

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